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Thursday, June 3, 2010

ब्लागरों के कुत्तों ने बनाया संगठन

जी हां... यह सच है। अब यह जूनियर ब्लागर है या सीनियर यह तो मुझे नहीं मालूम लेकिन आज सुबह जैसे ही मैंने अपने घर में मौजूद बुद्धु बक्से के कान को उमेंठा तो अपने टकले के दो चार बालों को छिपाते हुए लोगों को कटघरे में खड़ा करने वाले एक आदमी के चैनल में यह खबर चल रही थी कि ब्लागरों के कुत्तों ने भी अपना संगठन बना लिया है। एक दुबली-पतली सी लड़की जिसने जरूरत से ज्यादा लिपस्टिक चुपड़ रखा था ने चैनल में काम करने वाले संवाददाता से जो कुछ पूछा-ताछा वह मैं आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूं-

लड़की- दुनिया की सबसे अजीबो-गरीब घटना की ओर लिए चलते हैं आपको। जी हां पहली बार कुत्तों ने अपना संगठन बना लिया है। संगठन की पहली बैठक इलाहाबाद में संपन्न हुई है। इस बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं। इस वक्त मौजूद है हमारे संवाददाता अवध बिहारी पांडे। बिहारी... बिहारी.. क्या आप मेरी आवाज सुन रहे हैं।

बिहारी-
हेंडफोन लगाऊंगा तब तो कुछ सुनाई देगा न...ये लगाया। अब बोलिए क्या बात है।

लड़की- जी बताए कुत्तों की बैठक में क्या-क्या हुआ।
बिहारी-
कुछ नहीं मोना.. दिल्ली से कुछ कुत्ते कल ट्रेन पकड़कर इलाहाबाद चले आए थे। टिकट कन्फर्म नहीं हो रही थी तो ज्ञानू चाचू को बोले कि टिकट कन्फर्म करवा दो। ज्ञानू चाचू पिछले दिनों बीमार थे। बोले मैं लफड़े में नहीं पडूंगा। अभी थोड़े दिन पहले ही पड़ा था तो लोगों ने ढोलक समझकर दोनों तरफ से बजाया है। खैर फिर कानू चाचू ने टिकट कन्फर्म करवा दी।

लड़की- टिकट कैसे मिली यह नहीं पूछ रही हूं... यह बताओ बैठक में क्या हुआ।
बिहारी- देखो.. पूरा सिलसिलेवार सुनना है तो सुनो.. वैसे भी तुम्हारे चैनल वाले साले तनख्वाह कहां देते हैं। बोलते हैं जितना कमाते हो उसमें से आधा दे दो। जैसे साला मैं अपने बाप का हण्डा भरने के लिए निकला हूं।

लड़की-
मैं पूछ रही हूं बैठक में क्या हुआ।
बिहारी- वही तो बता रहा हूं। दिल्ली से तीन-चार कुत्ते ही आए थे बाकी सब इलाहाबाद-कानपुर क्षेत्र के थे। इन कुत्तों ने तय किया कि अब अन्याय नहीं सहेंगे मोना जरा गौर से देखो एक भूरे रंग का कुत्ता सबको लीड़ कर रहा है। यही कुत्ता पूरे समय बोलता रहा। वैसे तो बाकी कुत्तों ने भी थोड़ा-बहुत बोला लेकिन एक भूरे रंग का एक कुत्ता थोड़ा ज्यादा ही फुरसत में था। उस कुत्ते ने बैठक में जूनियर कुत्तों से आह्वावान करते हुए कहा कि यदि आपके मालिक ब्लागर आपकी बात नहीं सुनते हैं तो पिल पड़ो। मालिक जब बगीचे में पानी डाले तो पीछे से उसकी लुंगी खींच देना ताकि साला पूरी तरह नागा बाबा बन जाए। एक तरह से भूरे कुत्ते के भाषण ने सभी कुत्तों में जोश भर दिया था।

लड़की-
फिर भी क्या तय हुआ
बिहारी-भूरे कुत्ते ने सबको समझाया कि अब एकजुटता की जरूरत है। मालिक लोग बिलावजह ही दुलत्ती जमाते रहते हैं इसलिए उनसे निपटने के तरीके अपनाने होंगे।

लड़की-
वे तरीके क्या है। यह हम आपको बताएंगे लेकिन पहले लेते हैं एक छोटा सा ब्रेक
(विज्ञापन-सौंदर्य साबुन निरमा..इस सीमेंट में जान है और तुम मेरे थम्स अप के पीछे क्यों पड़ी रहती हो.... मैं तो पलक हूं किसी के पीछे भी पड़ सकती हूं थम्सअप क्या चीज है)

लड़की-
लीजिए फिर चलते हैं एक बार कुत्तों के संगठन और सम्मेलन की ताजा जानकारी के लिए इलाहाबाद। हां... बिहारी... ये तो बताओं कि दुनिया में हर शरीफ आदमी कुत्ता पालता है लेकिन केवल ब्लागरों के कुत्तों ने ही संगठन क्यों बनाया और उन्हें सम्मेलन करने की जरूरत क्यो आन पड़ी।
बिहारी- देखिए मोनाजी क्या है कि ब्लागरों ने अपने कुत्तों को ठीक से हड्डी का टुकड़ा नहीं डाला था। टुकड़ा नहीं डालते कोई बात नहीं थी कम से कम एकाध बिस्कुट तो खिला देते। पूरे समय समोसा-आलूबड़ा खाते रहेंगे और समोसे आलू बड़े पर भी पोस्ट लिखते रहेंगे तो कुत्ते क्या करेंगे।

लड़की- तो फिर कुत्तों ने क्या फैसला किया है।
बिहारी – जी.. कुत्तों ने तय किया है कि वे अब स्वयं का एग्रीकेटर खोलेंगे। ब्लागिंग सीखेंगे और संगठन के जरिए अपनी ताकत का अहसास कराएंगे।

लड़की-
किस तरह की ताकत
बिहारी- ताकत... वही। जहां मौका लगेगा काटेंगे। नोच डालेंगे। कोई गाड़ी में जाता रहेगा तो उसको दूर तक दौडाएंगे।

लड़की-
और क्या निर्णय लिया गया है
बिहारी- जी मोना सम्मेलन में मौजूद एक छोटे से कुत्ते से जब यह पूछा गया कि उसका नाम क्या है तो उसने बताया कि उसके मालिक ने उसका कोई नाम नहीं रखा है.... बस बड़े भूरे रंग के कुत्ते ने उसे यह जवाबदारी दे दी है कि वह सीनियर ब्लागरों के ब्लाग पर जाकर पीले रंग का द्रव्य छोड़ता रहेगा।

लड़की- इस द्रव्य से क्या होगा।
बिहारी- द्रव्य से ब्लागरों की जिन्दगी पीली-पीली हो जाएगी।
लड़की- मतलब
बिहारी- मतलब यह कि जैसे ब्लागर उतनी-भूतनी की टिप्पणियों से परेशान रहते हैं, वैसे ही अब वे अपने ब्लाग के पीले हो जाने से परेशान रहा करेंगे। अब तो जिस किसी के ब्लाग पर भी ज्यादा पीलापन नजर आए तो यह समझ लीजिएगा कि ब्लाग को पीलिया होने वाला है और यह सब उस छोटे से कुत्ते का कमाल होगा।

लड़की- तो क्या पिल्लर पीलिया फैलाएगा
बिहारी- पीलिया जैसा ही कुछ। ब्लाग पीला-पीला होकर दम तोड़ देगा थोड़े ही दिनों में ब्लागर भी टें बोल सकता है।
लड़की- बिहारी आप कहां खड़े हैं... और आपके पीछे ये इन्ही लोगों ने ले लिना टुप्पटा मेरा गाना क्यों सुनाई दे रहा है।
लड़की- मोना मै मीरगंज इलाके में हूं। सम्मेलन भी वही हो रहा है। यहां पलक की बहन अपलक अक्सर आते रहती है। यह इलाका कई कारणों से फेमस हैं, वैसे ही जैसे दिल्ली में जीबी रोड़ की प्रसिद्धी है।
लड़की- क्या कुछ खास होता है वहां
बिहारी- बहुत कुछ खास होता है।
लड़की-हम अपने दर्शकों को बताना चाहेंगे कि क्या खास होता है।
बिहारी- नहीं मोनाजी यह मत बताओ वैसे भी हमारे चैनल को अब समझदार लोग कम ही देखते हैं। मैं नहीं चाहता कि नई जानकारियों से हमारे दर्शक डाक्टर शाहनी की दवाई खाने लगे।
लड़की- ये डाक्टर शाहनी कौन है।
बिहारी- डाक्टर शाहनी बूढ़े हो चुके हैं अब उनका बेटा काम देखता है। वह भी शाहनी ही है। जी हां शाहनी ही शाहनी है। शाहनी आहूजा नहीं। ये शाहनी बचपन की गलत-सलत चीजों को दवा देकर ठीक करता है।
लड़की- तो क्या यह माना जाए कि सम्मेलन डाक्टर शाहनी के इलाके में हो रहा है।
बिहारी- नहीं इलाका तो शाहनी का नहीं है लेकिन यहां आने वाले लोग अक्सर डाक्टर शाहनी के पास ही जाते हैं।

लड़की-
बहुत खूब। काफी नई जानकारियां दी आपने। एक आखिरी सवाल आपसे और...
हमें यह बताया गया था कि कुत्तों ने संगठन के निर्माण और सम्मेलन के दौरान सामाजिक कार्यों को करने की घोषणा भी की थी। ये सामाजिक काम कौन-कौन से है
बिहारी- जी सम्मेलन में यह तय हुआ है कि सब अपने मालिक का साथ छोड़कर गली-मुहल्लों की पुलियों में रहने के लिए आ जाएंगे। बाकी मोहल्ले में यदि किसी ने रीमा-पींकू टिंकी-चिकी के ऊपर आंख उठाई तो उसके पीछे का एक किलो मांस निकाल लिया जाएगा।
लड़की- एक किलो ही क्यो ज्यादा क्यों नहीं
बिहारी- अब जितना होगा उतना ही तो निकालेंगे।
लड़की- बहुत-बहुत धन्यवाद आपका इस जानकारी के लिए
बिहारी- हो गया समाचार... अब ये तो बताओ रात को गिल साहब के साथ कनाट पैलेस में क्या कर रही थी।
लड़की-
बिहारी तुम जूते खाने का काम मत करो। मै भी पलक की बहन लपक ही हूं। मेरे साथ ज्यादा लपक-सपक करोगे न तो फफक पड़ोगे। हां तो चलते है अगले समाचार की तरफ।

ओफ्फ...मेरे सिर में दर्द हो रहा है। शायद मैंने बुरा सपना देखा है।

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