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Tuesday, June 1, 2010

खूनी महल के दरवाजे में प्यासा हैवान और चीखती लाश

शीर्षक देखकर आप चौक सकते हैं लेकिन जो लोग कथित किस्म के डर में जीवन का आनन्द लेना जानते हैं वे एक न एक बार रामसे बद्रर्स की फिल्मों को जरूर देखते हैं। जो डर में भी हास्य तलाशने के शौकीन है वे रामसे की आड़े-तेड़े नामों से फिल्मों को देखकर अपना माथा फोड़ बैठते हैं। रामसे ने डरावनी फिल्में कब से बनानी शुरू की इसका ठीक-ठाक ब्यौरा तो नहीं मिल पाया है लेकिन माना जाता है कि फिल्म पैसे की गुडि़या के बाद रामसे बंधुओं ने जले-कटे चेहरों को लेकर फिल्म बनाने का अपना धंधा जारी रखा।
फिल्म पर्दे के पीछे और दो गज जमीन के नीचे की सफलता के बाद तो रामसे बद्रर्स ने फिर कभी मुड़कर नहीं देखा। हालांकि अब रामसे की जगह रामगोपाल वर्मा ने ले ली है लेकिन रामसे की फिल्म का मजा ही कुछ और था।

कई दर्शक रामसे की फिल्मों को इसलिए भी देखने के लिए जाते रहे क्योंकि फिल्म का असली हीरो भूत हवेली में बिलावजह ही चड्डी पहनकर घूम रही हिरोइन को भी नहीं छोड़ता था।
यह तो तय है कि हर पुरूष के अन्दर एक जानवर बैठा हुआ है। किसी-किसी के भीतर भूत भी बैठा हुआ है। तो... जैसे ही भूत हिरोइन पर झप्पटा मारता था दर्शक चिल्ला उठते था- छोड़ना मत ससुरी को। साली कुतिया चड्डी पहनकर तमाशा कर रही है। दीपक पाराशर जैसे हीरो के साथ जब हिरोइन झरने पर नाहती थी तो भी दर्शक मन ही मन यही कामना करता था कि हे.. भगवान जल्द से बड़े पंजो वाले भूत को भेजो। बहुत लपट-झपट चल रही है।
यदि आपके पास आठ-दस लाख रूपए हैं तो आप आसानी से एक हारर फिल्म बना सकते हैं। नीचे कुछ सामानों की सूची दी गई है।
1- एक हवेली या एक कब्रिस्तान किराए पर ले लें।
2- पच्चीस-तीस किलो मकड़ी का जाला
3- चालीस-पचास चमगादड़
4- मोमबत्ती के दस-बीस पैकेट
5- सफेद साड़ी में मोमबत्ती पकड़कर घूमने वाली एक महिला कलाकार
6- कुछ घूंघरू
7- जानवरों की खाल
8- दो-चार सांप
9- एक बड़ा सा झूमर
10- राजा-महाराजाओं की पुरानी सी तस्वीरें
11- एक बूढ़ा चौकीदार जिसकी एक आंख में पट्टी बंधी हो
12- यही चौकीदार पहली इंट्री में लालटेन पकड़कर आएगा और चिल्लाएगा-यहां से चले जाओ। मैं कहता हूं कोई नहीं बचेगा। भाग जाओ यहां से।
13- हीरो के नाम पर दीपक पाराशर या फिर अनिल धवन
14- हिरोइन कोई भी चलेगी.. बस उसको बात-बात पर गर्मी लगनी चाहिए ताकि कपड़े उतार सकें
15- हास्य कलाकार ऐसा जो पूरी फिल्म में बरमुड़ा पहनकर घूमता दिखाई दे।
16- एक भालू टाइप का भूत जो सिर्फ क्रास या फिर त्रिशूल ही मरता हो।

फिल्म की कहानी (फ्री में दे रहा हूं)
कालेज के कुछ लड़के-लड़कियों का ग्रुप पिकनिक पर गया हुआ है। सबके पास अपना अपना आइटम है। मतलब सबकी महबूबा है। अचानक तेज बारिश होती है सभी रास्ते बंद हो जाते हैं। बचने के लिए सभी एक हवेली में पहुंचते हैं तभी एक आंख में पट्टी बांधा चौकीदार निकलता है। (क्या बोलेगा वह मैं ऊपर लिख चुका हूं)
सबको कमरा एलाट हो जाता है। हीरो की हिरोइन पर एक लड़के की नीयत खराब हो जाती है। हिरोइन अपने कमरे में सो रही है तभी.... टेनटेन डेटन। हीरो आता है फायटिंग होती है। खराब नीयत रखने वाला लड़का हवेली के पीछे भागता है पीछे कब्रिस्तान है वहां जोरदार फायटिंग होती है। इससे पहले कि हीरो उसे मारे कब्रिस्तान से एक हाथ निकलता है और गंदी नीयत रखने वाले लड़के को खींच लेता है। हीरो के साले दोस्त चीख-पुकार सुनकर वहां आ जाते हैं। सभी लोग हवेली को छोड़कर जाने की बात करते हैं तभी बूढ़ा चौकीदार कहता है- अब कोई नहीं बचेगा.. बारिश बहुत बढ़ गई है। दूसरे दिन भूत का प्रवेश होता है और वह एक-एक कर तमाम बुरी आत्माओं का खात्मा करता है। अंत में भूत त्रिशूल के लगने से मर जाता है। हिरोइन अपने हीरो से चिपक जाती है। दी एंड।
यदि आपने फिल्म का विचार बना लिया है फिर फिल्म के नाम की जरूरत भी पडेगी। फिल्म का नाम भी कुछ इस तरह से हो सकता है-
अमावस की रात, कफन, डायन, गेस्ट हाउस, खून की प्यासी, प्यासी आत्मा, खंडाला टाउन, कब्रिस्तान, वो भयानक रात, आखिरी चीख, प्यासा शैतान, खूनी महल,शैतानी इलाका, वीराना, महाकाल, सन्नाटा, चीख, पुरानी कब्र, तहखाना, प्यासा हैवान, दरवाजा, बंद दरवाजा, प्यासी भूतनी, पुरानी हवेली, टेलिफोन, पुराना मंदिर, खौफनाक महल,खूनी मुर्दा, आत्मा, रूहानी ताकत, होटल।
आप कहेंगे इन नामों से तो फिल्म बन चुकी है.. तो मैं कब कह रहा हूं कि नहीं बनी है। आपको इन नामों के आगे-पीछे पार्ट-टू जोड़ते जाना है।

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