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Tuesday, May 25, 2010

सच का सामना में ब्लागर

दोस्तों नमस्कार.. एक बार फिर मैं राजीव खंडेलवाल आपका स्वागत करता हूं सच का सामना में। आप सोच रहे होंगे कि यह कार्यक्रम फिर कब से चालू हो गया। कार्यक्रम का क्या है वह कभी भी बंद होते रहता है और फिर जब मर्जी चालू हो जाता है। तो अब तक आप यूसुफ साहब, उर्वशी ढोलकिया, विनोद कांबली सहित कई जानी- मानी हस्तियों को सच का सामना करते हुए देख चुके हैं लेकिन इस कार्यक्रम की दूसरी कड़ी में पहली बार हम आपका परिचय कराने जा रहे हैं एक ब्लागर से। तो लीजिए पेश है ब्लागर मिस्टर एक्स।

मिस्टर एक्स केवल और केवल ब्लागिंग करते हैं इसके अलावा वे केवल ब्लागिंग ही करते हैं। तो मिस्टर एक्स आपको नियम और कानून तो पता ही है। आपको 21 सवालों का जवाब देना है। हर सवाल का जवाब सही होना चाहिए तभी आप एक करोड़ रुपए जीत पाएंगे। आपको पता ही है कि पालीग्राफिक मशीन ने आपका टेस्ट कर लिया है, जो झूठ आप अपने ब्लाग पर लिखते हैं या बोलते हैं कृपयाकर उसे यहां मत बोलिएगा। हां.. यहां हमारे बीच मिस्टर एक्स की एक सही पत्नी और उनके माता-पिता आए हुए हैं। मैं मिस्टर एक्स के परिवार वालों से कहना चाहूंगा कि यदि आपको कोई सवाल गलत लगता है तो आप आपके सामने एक बजर पड़ा हुआ है आप उसे दबा देंगे, लेकिन उस सवाल के बाद आपको मेरे दूसरे सवाल का जवाब देना ही होगा। एक बात और.. आप जानते ही है कि मेरे सवाल किस तरह से निजी होते हैं.. जरा सोच समझकर जवाब दीजिएगा। तो लीजिए दोस्तों देखते हैं कि मिस्टर एक्स कैसे करते हैं आज पूरी दुनिया के सामने सच का सामना तेज म्यूजिक ... नीली रोशनी...

तो मिस्टर एक्स सबसे पहले तो आप यह बताइए कि आपको ब्लागर बनने की सलाह किसने दी।
0-देखिए यह आत्मा का सवाल है। आत्मा से आवाज निकली कि बेटा जब तुम्हारे पास कोई काम धंधा नहीं है तो फिर ब्लागिंग करो। बस आत्मा की पुकार के बाद मैंने फैसला कर लिया कि अब मैं ब्लागिंग ही करूंगा। वैसे ब्लागिंग के क्षेत्र में मेरे आने का एक कारण और भी है। मेरा एक दोस्त जब से ब्लागर बना है तब से अपने ब्लागस्पाट का नाम विजिटिंग कार्ड में छपवाकर घूम रहा है। अपने को जलन हुई और अपन ने अपना ब्लाग भी खोल लिया।
- देखते है पालीग्राफिक मशीन क्या कहती है।
थोड़ी देर बाद...बिल्कुल सही जवाब
-अब मेरा दूसरा सवाल। ब्लागिंग करने के बाद आपने कितने लोगों को सताया।
देखिए.. राजीव जी जब मैं ब्लागिंग के क्षेत्र में आया था तब मैंने तय किया था कि मैं किसी को नहीं सताऊंगा लेकिन क्या करता। एक दिन एक हराम.. अरे .. पता नहीं था कार्यक्रम में गाली नहीं दे सकते हैं... तो मैं कह रहा था कि एक दिन एक कुत्ते का पिल्ला मेरे ब्लाग पर आया और अंड-बंड टिप्पणी लिखकर चलता बना। उसके बाद मैंने तय किया कि जो मुझे गाली देगा। मेरे ब्लाग पर आकर होशियारी झाड़ेगा तो मैं उसकी बांस कर दूंगा। वैसे मैं कई लोगों को बांस कर चुका हूं।
- तो कितने लोगों की बांस कर चुके हैं आप
0- गिनती नहीं है फिर भी हर रोज का यदि दो का भी एवरेज लेंगे तो अब तक ढाई सौ लोगों को मैं बांस कर चुका हूं।
-चलिए मेरा तीसरा सवाल .. अब आप यह बताइए कि अपने ब्लाग को हिट करने के लिए आपने कौन सा तरीका अपनाया।
0- देखिए राजीवजी जब मैंने ब्लाग खोला तब मेरे ब्लाग पर एक खुजली वाला कुत्ता भी झांकने नहीं आता था। एक दिन मेरे ब्लाग पर एक ब्लागर गाली देकर चला गया। उसके बाद मैने उसके ब्लाग पर जाकर उसकी जमकर ऐसी-तैसी की। इस ऐसी-तैसी से मुझे प्रमोशन मिला। एक दिन मेरे मित्र ने मुझे बताया कि जब तक आप लोगों के ब्लागों पर जाकर टिप्पणी नहीं करोगे तब तक आपको भी टिप्पणी नहीं मिलेगी। बस उसके बाद से मैं हर ब्लाग पर जाकर मत्था टेकता हूं। कोई पांडुरंगा फोंडे फुन्सी पर भी लिख देता है तो कम से कम नाइस लिखकर आ जाता हूं।
-मतलब किसी को फोड़ा हो जाए तब भी आप नाइस लिख देते हो
0- हां लिख देता हूं। नाइस का मतलब हिन्दी में अच्छा होता है। यदि आज फोड़ा है तो कल दवा पानी से अपने आप अच्छा हो जाएगा, इसलिए जब फोड़े को अच्छा होना ही है तो मैं पहले से ही लिख देता हूं-नाइस।
(ब्लागर लगातार रकम जीतते जा रहा है। जब नहीं जीतेगा तब मैं बता दूंगा)
-अब मेरा अगला सवाल। अक्सर आपको महिला ब्लागरों के ब्लागों पर टिप्पणी करते हुए देखा गया है ऐसा क्यों।
0- देखिए.. महिला ब्लागरों के ब्लागों पर मैं ही नहीं बहुत से लोग टिप्पणी करते हैं। हालांकि बहुत सी महिला ब्लागर मार्के का लिखती है लेकिन जो नहीं लिखती हैं मैं वहां भी जाकर लिख देता हूं कि आपकी कविता दिल को छू गई है। एकदम से दिल में उतर गई है। प्रेम के रस में डूबी हुई है। एक सुन्दर अहसास से लबरेज हैं। कोमल भावनाओं की सुंदर प्रस्तुति।
-फिर भी क्या आप बता सकते हैं कि कौन-कौन से लोग है जो महिला ब्लागरों के ब्लाग पर नियमित टिप्पणी करते हैं।
0-देखिए राजीव जी महिला ब्लागरों के ब्लाग पर जाकर टिप्पणी करना कोई बुरी बात तो नहीं है न। हमें स्त्री की ताकत का सम्मान तो करना ही चाहिए लेकिन क्या है कि आपका कहना भी सही है। कुछ टिप्पणिया वाकई ऐसी होती है जो बताती है कि सामने वाली नीयत क्या है। जैसे- घटिया सी कविता पर कोई यह लिखकर आ जाता है कि आपके ब्लाग पर पहली बार आया हूं। यहां आकर पता चला कि आप कितना सुंदर लिखती है, बिल्कुल चिडि़या की तरह। मन की भीतरी तहों को खोलती हुई .. तो.. समझ में आ जाता है कि सामने वाला ऐड़ा बनकर पेड़ा खाने के चक्कर में हैं। फिर भी आपको बता देता हूं कि यूपी साइड के कई ब्लागर, कवि टाइप के लोग और प्रेम कविता लिखने वाले नए-नए छोकरे अपने से बड़ी उम्र की महिलाओं के ब्लाग पर जाते रहते हैं और कुछ का कुछ लिखकर आते रहते हैं। साले लिखते ऐसा है कि कि पूछिए मत। ये नहीं कि जो आंटी लगे उन्हें आंटी बोले। जो बहन जैसी दिखे उसे बहन बोले। जो माताजी हो उन्हें माताजी का संबोधन दे। साले ऐसा लिखेंगे कि ...देखिए राजीव जी मुंह मत खुलवाइए।
- आप तो बताइए कि आप महिलाओं के ब्लाग पर क्यों जाते हैं।
0- मैं फूल-पत्ती का चित्र देखने के लिए जाता हूं और सही बताऊं तो इसलिए भी जाता हूं कि साले दूसरे ब्लागरों को पता चले कि मेरा अनुशरण करने वालों में महिलाए भी हैं। वैसे जब महिलाएं मेरे ब्लाग पर आकर टिप्पणी करती है तो मेरा दिल बाग-बाग हो जाता है। कोई-कोई आकर भैय्या लिखकर चल देती है तब बुरा लगता है।
-अब धीरे-धीरे मैं खतरनाक सवाल की ओर बढ़ रहा हूं। आपको पता ही है सवाल निजी होता जाएगा।
-क्या आपको नहीं लगता कि ब्लागिंग की वजह से आपकी सेक्सुअल लाइफ प्रभावित हो रही है।

मुझे तो नहीं लगता लेकिन यह सही है कि जो काम मुझे रात को करना चाहिए मैं दिन में करने लगा हूं।
- यानी कि आप पत्नी के साथ अन्याय कर रहे हैं
0- आप बात को गलत मोड़ दे रहे हैं मैं अब दफ्तर का काम दिन को ही करता हूं।
-अरे तो कौन उल्लू का पट्ठा रात को करता है।
0- पहले मैं रात को ही करता था लेकिन अब रात को ब्लागिंग करता हूं।
- पिछले दिनों कौन श्रेष्ठ है उस बारे में आप क्या सोचते हैं। कौन श्रेष्ठ ब्लागर है।
0- देखिए मेरे सोचने से क्या होता है। जो कुछ करना था वह जनता ने कर दिया। बाकी समीरलाल साहब की किस्मत और मेहनत थी। श्रेष्ठ ब्लागर वैसे समीरलाल ही है।
-देखते है मशीन क्या बोलती है।
-बिल्कुल सही जवाब है आपका।

अब मेरा एक और खतरनाक सवाल। क्या आपने ब्लागिंग करते-करते दारू चढ़ाई है। कितनी।
0- क्या है राजीव जी मुझे किसी ने बचपन में ही बता दिया था कि जितने बड़े लेखक है वे सब टुन्न होकर ही लिखते रहे हैं सो अमर होने के लिए मैं भी टुन्न होकर लिखता हूं। क्या है कि अपने भीतर जितना पालीथीन पड़ा है न वह टुन्न होने के बाद मुंह तक आता है। उसके बाद अपन पालीथीन चबा-चबाकर जुगाली करते रहते हैं और दूसरों को गाली देते रहते हैं। जब बहुत सारी कुंठा एक साथ जमा हो जाती है तो उसे रंग पोतकर.. कुत्ते-कमीने.. तेरी मां की बहनकी हैडि़ग लगाकर पोस्ट कर देते हैं।

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